The Bharatiya Sakshya Adhiniyam 2023

 

The Bharatiya Sakshya Adhiniyam, 2023

The Bhartiya Sakshya Adhiniyam, 2023 is a significant document that regulates the Indian judicial process. It lays down the rules regarding evidence and determines the admissibility of evidence in court proceedings. The evidence includes information given electronically, which permits appearance of witnesses, accused, experts and victims through electronic means. It provides for admissibility of an electronic or digital record as evidence having the same legal effect, validity and enforceability as any other documents.

It seeks to expand the scope of secondary evidence to include copies made from original by mechanical processes, copies made from or compared with the original, counterparts of documents as against the parties who did not execute them and oral accounts of the contents of a document given by some person who has himself seen it and giving matching value of original record will be admissible as proof of evidence in the form of secondary evidence. It seeks to put limits on the facts which are admissible and its certification as such in the courts.

At primary level it includes the process of obtaining and presenting evidence for bail. It establishes criteria for the admissibility of various types of evidence such as oral evidence, statements of witnesses, expert testimony, etc. It outlines various judicial procedures such as examination-in-chief, cross-examination, re-examination, etc. The process of admission and denial of evidence is described in it. The admissibility of confession made by the accused persons dealt here. The deal with the admissibility of statements made by a person who is deceased is also dealt here. It covers the admissibility of evidence related to a person’s character. It also deals with the opinions expressed by the third party. It lay down rules regarding the admissibility and proof of documentary evidence, presumptions regarding the execution and authenticity of documents. It also defines the burden of proof and established rule regarding the owners of proof in legal proceedings.It is an essential legal framework that ensures the orderly and fair conduct of judicial proceedings in India. It provides guidelines for the admission and evaluation of evidence which are crucial for the dispensation of justice.

भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023

भारतीय साक्ष्य अधिनियम,2023 एक महत्वपूर्ण कानूनी दस्तावेज है जो भारतीय न्यायिक प्रक्रिया को नियमित करता है। यह अधिनियम साक्ष्य को प्राधिकृत करता है और न्यायिक प्रक्रिया में साक्ष्य की प्रभाविता को निर्धारित करता है। इस अधिनियम की प्रस्तावना और प्रारंभिक धाराएं साक्ष्य की प्राथमिकता और प्रभाव को निर्धारित करती हैं। यह जमानत के साक्ष्य को प्राप्त करने और प्रस्तुत करने की प्रक्रिया को भी विवरणित करती है। यह अधिनियम विभिन्न प्रकार के साक्ष्यों को मान्यता देने के लिए निर्धारित मानकों को स्थापित करता है, जैसे कि पारित साक्ष्य, गवाहों का बयान, तकनीकी साक्ष्य,आदि। इसमें न्यायिक प्रक्रियाओं का विवरण है जैसे की प्रस्तावना, प्रतिदीप्ति, पूर्वानुमति, आदि। यह साक्ष्य की स्वीकृति और अस्वीकृति की प्रक्रिया को भी विवरणित करता है। इन धाराओं में धार्मिक पुरोहितों या धार्मिक ग्रंथो के साक्ष्य की प्राथमिकता को भी विवरणित किया गया है। साक्ष्य के प्रत्यारोपण और उनसे संबंधित विधियों का विवरण भी इसमें प्रस्तुत किया गया है।

नवीन उपबंध यह निर्धारित करता है कि साक्ष्य के अंतर्गत इलेक्ट्रॉनिक रूप से दी गई कोई सूचना भी सम्मिलित है जो इलेक्ट्रॉनिक साधनों के माध्यम से सक्ष्यियो, अभियुक्तियों, विशेषज्ञों और पीड़ितों की उपस्थिति को अनुज्ञात करेगा। यह किसी इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल अभिलेख की साक्ष्य के रूप में ग्रह्यता का उपबंध करता है। जिसका सही विधिक प्रभाव, विधिमान्यता और प्रवर्तनीयता होगी जो किसी अन्य दस्तावेज की होती है। यह द्वितीयक साक्ष्य का विस्तार करता है ताकि मूल में यांत्रिक प्रक्रिया द्वारा बनाई गई प्रतियाँ, मूल से बनाई गई या तुलना की गई प्रतियाँ, दस्तावेजों के प्रतिलेख के साथ उन पक्षकरो के विरुद्ध जिन्होंने इसका निष्पादन नहीं किया था, तुलना की जा सके और किसी व्यक्ति द्वारा दिए गए दस्तावेजों की अंतर्वस्तु का मौखिक वृतांत जिसने उन्हें स्वयं देखा हो और मूल अभिलेख का मैचिंग हैश वैल्यू देना द्वितीयक साक्ष्य के रूप में साक्ष्य के सबूत के रूप में ग्राह्य होंगे।

भारतीय साक्ष्य अधिनियम सुसंगतता और संवैधानिकता के साथ साक्ष्य की प्राथमिकता और प्रभाव को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कानून है। यह अधिनियम भारतीय न्याय प्रणाली का महत्वपूर्ण हिस्सा है और न्यायिक प्रक्रिया को सुचारू और न्याय संगत बनाने में मदद करता है।

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